नमस्कार दोस्तों !
मै गव्यसिद्ध सन्नी कुमार आपका स्वागत करता हूँ। आप के अपने चैनल गौ ज्ञान गंगा मे। दोस्तों इस वीडियो में हम जानेंगे की भारत विश्व विजेता कैसे बनेगा और इसके लिए हम सभी को क्या करना बढ़ेगा। इसलिए इस वीडियो को बिना स्किप किये अंत तक जरूर देखे।Click here - https://youtu.be/DdlI6uikjug
If you want to distroy a nation, distroy its history, the nation will be
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विश्व विजेता भारत ऐसे बनेगा
अमेरीकी राजदूत 'हू-शिह' लिखते हैं :
"भारत में एक भी सैनिक अपनी सीमाओं से बाहर भेजे बिना साँस्कृतिक रूप से 2000 वर्ष तक चीन पर अपना प्रभुत्व जमाए रखा।" यह पढ़कर कोई भी देशभक्त भारतीय रोमांच और गौरव का अनुभव करेगा, उत्साहित होगा। यह गौरव, उत्साह व रोमांच हमारे स्वास्थ्य को उत्तम बनाने में बहुत बड़ा योगदान करता है। इसके विपरीत हीनता, निराशा हमें बीमार बनाती है। इस बात को हम भारतीय नहीं समझ रहें। जबकि भारत विरोधी ताकतें बहुत अच्छी तरह हमारे विरुद्ध 'हीनता बोध' बढ़ाने की तकनीक का प्रयोग कर रही हैं। गत् सवा दो-ढाई सौ साल से यह प्रयास चल रहा है। आश्चर्य तो यह है कि 1947 के बाद भारतीयों में हीनता बोध जगाने के प्रयास पहले से भी अधिक प्रभावी ढंग से चलते रहे।
हम भारतीयों को हीन बताने वाले झूठे इतिहास का निर्माण, हमारी सभ्यता-संस्कृति, अतीत को हीन बताने वाले समाचार, चलचित्र, सीरियल, साहित्य बहुत बड़े स्तर पर बनाने का काम निरन्तर चल रहा है। इन घातक प्रयासों का परिणाम है कि संसार में केवल भारत में ऐसे लोग मिलते हैं जो बड़ी आसानी से भारत की सभ्यता, संस्कृति, महापुरुषों की कटु आलोचना करते हैं, अपने देश को बुरा बोलते हैं। विश्व के किसी भी देश में ऐसे लोग नहीं मिलेंगे। किसी विद्वान ने कहा है
If you want to distroy a nation, distroy its history, the nation will be
distroyed itself.
अर्थात् यदि तुम किसी देश को नष्ट करना चाहते हो तो उसका अतीत (इतिहास) नष्ट कर दो। वह राष्ट्र स्वयं नष्ट हो जाएगा। भारत के साथ यही किया गया है। सन् 1947 से पहले यूरोपीय हमारे इतिहास को बिगाड़ते रहे और उनके बाद भारत में बैठे उनके एजेन्ट, वामपंथी व क्रूरोड़ी ताकतें, जिहादी यह काम करते रहे। तभी तो भारत को कलंकित करनेवालों को नोबल व बुकर पुरस्कार दिए गए। यदि सबको भारतभक्त बनाना है तो अपने गौरवपूर्ण इतिहास को जानना और प्रचारित करना जरूरी है। बिपुल साहित्य, पुस्तकें इस पर उपलब्ध है।
इस साहित्य से भारत की सोई ऊर्जा जागेगी, हम उत्साहित, स्वस्थ्य होंगे और यह राष्ट्र भी स्वस्थ्य व सबल होगा।
यदि भारत को दुभल बनाने में विकृत इतिहास घातक सिद्ध हो सकता है तो भारत को सबल तथा तेजस्वी बनाने में गोरवशाली अतीत का समरण निश्चित रूप से संजिवनिय सिद्ध होगा। उस इतिहास को सामने लाना जरूरी हैं। भारत के अतुलनीय अतीत पर विश्व के अनेक विद्वानों ने द्रजनो पुस्तके लिखी हैं। उन पुस्तको को प्राप्त करके प्रचारित करना भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक हैं।
प्रसन्नता का कारक माने जाने वाले सोरोटोनिन, आक्सीटोसिन, एण्डोर्फिन तथा
डोपामाईन का साव बढ़ाने के उपायः आसन, हंसना, संगीत, व्यायाम, ध्यान,
प्राणायाम, सेवा, दान, कृतज्ञता, सात्विक आहार तथा संयम हैं।
"स्वदेशी गाय के घी से पाँव के तलवों में मालिश करें, नाक व नाभि में लगाएं। सर दर्द, माइगेन, ठीक होंगे, स्मरण शक्ति बढ़ेगी, आँखे सुन्दर बनेंगी, पाचन के अनेक रोगों में बहुत लाभ मिलेगा, मन प्रसन्न रहेगा।
हमारे सुख-दुःख का वास्तविक कारण हम ही हैं
अच्छी या बुरी सोच का हमारे शरीर, मन और हमारे आसपास के वातावरण पर बहुत गहरा प्रभाव होता है। वास्तविकता तो यह है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता है उसमें नजर आने वाले स्थूल कारकों की भूमिका 20 प्रतिशत से भी कम रहती है। दिखाई न देने वाले सूक्ष्म जगत का प्रभाव 80 प्रतिशत से अधिक हमारे जीवन पर होता है। अतः हमें अपने विचारों के प्रति सावधानी जरूरी है। हमारी सोच के अनुसार की हमारा व्यक्तित्व बनता है। हमारे शरीर की अन्तः खादी ग्रंथियों के साथ सोच से संचालित प्रभावित होते हैं। हम जैसा सोचते हैं। वैसे ही हार्मोन बनने लगते हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि हमारे विचारों के अनुरूप अन्तरिक्ष की वैसी ही शक्तियां हमारी ओर आकर्षित होने लगती हैं।
अतः हमें जैसा बनना है, जो पाना है, उसके अनुसार ही अपनी विचार प्रक्रिया को बनाना होगा। उसी के अनुसार देखना, सुनना और पढ़ना होगा। क्योंकि हम जो देखते हैं, हम जो सुनते हैं, हम जो पढ़ते हैं वहीं सोचते हैं। हम वही सोचते चले जाते हैं और हम वही बन जाते हैं। जीवन में सफलता के लिए इस रहस्य को ठीक से जानना और समझना जरूरी है। यह एक ठोस तथ्य है कि...
"हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं, वही सोचते हैं जो हम देखते, सुनते और पढ़ते हैं।"
'द सीक्रेट' नाम की पुस्तक और मूवी में भी ऐसा ही बताया गया है कि हम इच्छा शक्ति से कुछ भी कर सकते हैं, कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं और कुछ भी बन सकते हैं। पर उसमें एक रहस्य नहीं बताया गया। हमारी इच्छा शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत प्रजनन शक्ति है। हम अपनी प्रजनन शक्ति को जितना बलवान बनाते हैं, जितनी अधिक उस ऊर्जा की रक्षा करते हैं, उतना ही हम अपनी इच्छा शक्ति को बलवान बना कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसीलिए भारत में संयम व ब्रह्मचर्य का बहुत महत्त्व बताया गया है और उसके लिए अनेक उपाय बताए गए हैं।
सकारात्मक ऊर्जा के लिए
ओम् का उच्चारण रोज 7 मिनट से अधिक समय तक करने से सभी रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है। स्मरण शक्ति भी तेजी से बढ़ती है। अतः प्रयास करें कि परिवार के सभी लोग प्रातः सायं 7 मिनट से अधिक समय तक ओम् का उच्चारण करें।
घर में मोरपंख आदर पूर्वक रखने से सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, सभी रोगों में लाभ होता है। मोरपंख से झाड़ा देने से तुरन्त शारीरिक एवं मानसिक शक्ति बढ़ जाती है, शरीर के दर्दों में आराम मिलता है। आप चाहें तो दिन में दो-चार बार मोरपंख से स्वयंम को और परिवार के लोगों को झाड़ा देते रहें। झाड़ा देने का अर्थ है मोरपंख को दक्षिणावर्त सर पर घुमाना और सर से पांव की ओर स्पर्श करते हुए दो-चार बार ले जाना।
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