Monday, March 7, 2022

क्लोरीन का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

 


नमस्कार दोस्तों ! मै गव्यसिद्ध सन्नी कुमार आपका स्वागत करता हूँ। आप के अपने चैनल गौ ज्ञान गंगा मे। दोस्तों आज हम जानेगे की क्लोरीन का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। और क्या जल को शोधन करने के और कौन- कौन से उपाए है। जानने के लिए कृपा बिना स्किप करे पूरा वीडियो देखे।


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वीडियो को अंत तक देखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

क्लोरीनेशन के कितने खतरे यद्यपि विश्व के लगभग सभी देशों में जलशोधन में क्लोरीन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। पर भारत में बिना सोचे समझे इसका व्यापक प्रयोग किया। जा रहा है। अभी तक पानी को कीटाणुमुक्त करने के लिए वाटर प्यूरीफायर्स में क्लोरीन नामक रसायन को एक किफायती, प्रभावी (कानूनी मान्यता प्राप्त) कीटाणु नाशक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। क्लोरीन और इसके उप-उत्पाद घातक हैं। इन्हें क्लोरीनेटेड हाइड्रोकार्बन्स या ट्राईहेलोमिथेन, हेलोएसिएरिक ऐसिड के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार इनमें से कई म्यूटेजेनिक या कार्सिनोजेनिक हैं। कुछ वाटर प्यूरीफायर टीसीसीए जनरेटेड क्लोरीन का इस्तेमाल करते हैं। एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेन्सी (ईपीए) द्वारा इसका दीर्घकालिक प्रयोग मान्य नहीं है। इस रसायन का प्रयोग अधिकतर स्वीमिंग पूल्स के पानी को कीटाणुमुक्त करने के लिए किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में वर्ष 2010 तक जल शुद्धिकरण में जहरीली गैस क्लोरीन का प्रयोग बंद कर दिया जाना था। अधिकांश विकसित देशों में यह अनेक वर्ष पहले बंद कर दिया गया था। क्लोरीन पानी में मिलाने से माइक्रो बैक्टीरिया एवं कैलीफाम बैक्टीरिया तुरंत मर जाते हैं। दूसरी ओर क्लोरीन के जल से गालब्लेडर कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। यमुना जल में आमोनियम कंटेंट क्लोरीन से मिलकर कई तरह के क्लोराइड, सल्फेट एवं बाई प्रोडक्ट पैदा कर रहे हैं। वैसे भी टरबिटी, सस्पेंडेंड मैटर पर क्लोरिन प्रभावी नहीं है।
कलोरीनेटेक जल के खतरों के बारे में से इस विषय के विशेषज्ञ क्या कहते हैं।- जरा यह जान लें :

जो लोग क्लोरीनेटेड पानी नहीं पीते, उनकी तुलना में क्लोरीनेटिड पानी पीने वालों में कैंसर होने का जोखिम 93 प्रतिशत अधिक होता है।
-डॉ. जे.एम. प्राई

आर्टीरियोस्क्लेरोसिस और उसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स का कारण ना कोई और नहीं वह क्लोरीन ही है जो हमारे पेयजल में उपस्थित है।

-जेनेट रेलोफ साइंस न्यूज वोल्यूम 130.
क्लोरीनयुक्त पानी आपकी सेहत को खोखला कर सकता है। -डॉ. एन. डब्ल्यू. बाकर, डीसी

एक अमेरीकी विशेषज्ञ के अनुसार क्लोरीन आधुनिक युग का सबसे बड़ा अपाहिज बनाने वाला, अनेक हत्याओं का कारण है। यह एक बीमारी से बचाता है तो दूसरी ॥ अनेक पैदा करता है। सन् 1904 में जब से हमने (अमेरीका में) पेयजल का क्लोरीकरण किया तभी से दिल की बीमारियाँ, कैंसर और असमय बुढ़ापे जैसी शुरू बीमारियां पनपने लगी है।

भारत में सबसे ज्यादा लोग जलजलित बीमारियों के शिकार होते हैं। जलजनित रोगों का मुख्य कारण उसमें पाए जाने वाले कोलोफार्म बैक्टीरिया होते हैं। इनको नष्ट करने के लिए पानी में क्लोरीन मिलाया जाता है। अन्त में उपभोक्ता तक पहुंचे पानी में क्लोरीन का ओटी टेस्ट होता है। उसके पाजिटिव मिलने पर ही माना जाता है कि सही मात्रा में क्लोरीन मिली है। टेल तक क्लोरीनयुक्त पानी पहुंचाने के लिए जल संस्थानों में जगह-जगह क्लोरीन मिलाने वाले डोजर लगे हैं। सबसे पहले निर्धारित मात्रा में क्लोरीन जल में मिलाई जाती है। उसके बाद हर मुहल्ले में जलापूर्ति करने वाले पम्पों में भी क्लोरीन मिलाकर आगे भेजा जाता है। पाइपलाइन पुरानी होने के कारण जगह जगह उसमें गंदगी मिलने की आशंका के कारण निर्धारित मात्रा से कई गुणा अधिक क्लोरीन पानी में मिलाई जा रही है।

 • शोध कर्ता वैज्ञानिकों के अनुसार क्लोरीन युक्त पानी में बहुत देर तैरने या नहाने से मूत्राशय के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

• स्पेन के वैज्ञानिकों के एक दल ने पाया है कि कैंसर का कारण रसायन ट्राई हैलोमियेन (टीएचएम) है जो त्वचा के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश करता है। टीएचएम पानी में क्लोरीन मिलाने पर बनता है।

• डेली मेल की रिपोर्ट अनुसार क्लोरीन युक्त पानी में जो लोग बहुत ज्यादा देर तक तैरते हैं अथवा नहाते हैं वे वास्तव में बहुत ज्यादा टीएचएम लेते हैं। इससे उनमें कैंसर होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इस अनुसंधान के लिए अनुसं मनकर्ताओं ने 1270 लोगों पर अध्ययन किया।

• स्पेन के कैस्टेला माशा में स्थित सेंटर फार रिसर्च इन एनवायरमेंट एपीडेमिओलाजी' के डॉक्टर जीमा कैस्टाओ-विन्यात्स का कहना है कि ज्यादा पैसे वाले लोग अथवा शिक्षित लोग सोचते हैं कि वे बोतल बंद पानी पी कर पानी से होने वाली से बच जाते हैं, लेकिन ये नहीं जानते कि क्लोरीन युक्त पानी में
लंबे वक्त तक तैरने और बहाने वालों से भी अधिक मात्रा में टीएचएम अपने भीतर लेते हैं। इसकी अधिक मात्रा से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उल्टियां हो सकती हैं, फेफड़े खराब हो सकते हैं, पेट संबंधी विकार भी हो सकते हैं।

• पानी में कई बार अधिक मात्रा में क्लोरीन मिलाने से लोग उल्टी, दस्त की गिरफ्त में आ जाते हैं। फेफड़ों को खराब करने में पानी में क्लोरीन सर्वाधिक जिम्मेदार है। क्लोरीनीत जल पीने वालों में भोजन नली, मलाशय, सीने और गले के कैंसर की घटनाएं ज्यादा पाई गई हैं।

• नैशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित जरनल के अनुसार लम्बे समय तक क्लोरीन युक्त जल पीने से ब्लैडर कैंसर के विकसित होने का जोखिम 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार समस्या क्लोरीन से रसायनों का वह समूह है जिनसे मूत्राशय का कैंसर हो सकता है।

• क्लोरीनीत जल के उप-उत्पादों से मूत्राशय का कैंसर, उदर, फेफड़ों, मलाशय, दिल की बीमारियां, धमनियां का सख्त होना, एनीमिया, उच्च रक्तचाप और एलर्जी आदि बीमारियां जन्म ले सकती हैं।

• यह प्रमाण भी मिले हैं कि क्लोरीन हमारे शरीर के प्रोटीन को नष्ट कर सकती है, जिससे त्वचा और बालों पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं। पानी में क्लोरीन होने से क्लोरोमाईन्स (क्लोरीन के उपचार के बाद पैदा होने वाले कीटाणु) बनते हैं, जिससे स्वाद और गंध के विकारों जैसी समस्याएं जन्म ले सकती है।

• क्लोरीन गैस की अधिकता और निरंतरता सीधे फेफड़ों को आघात पहुंचाती है, समूचे श्वसन तंत्र को जख्मी कर देती है। इसके कहर से आंखे भी अछूती नहीं रहतीं। क्लोरीन से 'जल शोधन' धीमा जहर लेने की तरह है।

• कोटा के एक जलापूर्ति करने वाले संयंत्र से प्रति 10 लाख लीटर पानी में 2 किलो से लेकर 4 किलो तक क्लोरीन गैस डाली जाती थी। वह भी अंदाज से इस प्रक्रिया में प्लांट के चैंबर्स पर लगे लोहे के गेट और चदरें तक गल गई। यहां तक कि क्लोरीन के असर से एक स्वच्छ जलाशय की छत तक खत्म हो गई। इस मामले में कोटा मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एवं टीबी रोग के विभागाध्यक्ष डा. बीएस वर्मा का कहना है, "फेफड़ों को खराब करने में पानी के साथ क्लोरीन की अधिक मात्रा सर्वाधिक जिम्मेदार है।"

क्लोरीन की मात्रा को जांचने के लिए क्लोरोस्कोप का प्रयोग होता है इससे पानी में क्लोरीन की मात्रा कितनी कम और कितनी अधिक है, इसका पता आसानी से चल जाता है।

अतः क्लोरीन से जलशोधन आत्मघाती है। ओजोनाईजेशन, एन्जाईम, अग्निहोत्र, सहजन के बीज इत्यादि अनेक विषरहित जलशोधन के उपाय हो सकते हैं। (आशिंक सामग्री साभार उधृत)


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